बेटी तो माँ की पहचान है, माँ की ममता की शान है,
बेटी का ये बचपन, जैसे ख़्वाबों का है संगम,
बेटी घर का आधार है, वह तो अपनों का अभिमान है,
फूलो सी कोमल उसकी काया,गंगा से पावन उसकी छाया,
चंचलता है हर पल उसके भावो मे,करुणा ही उसका स्वाभाव है,
बेटी तो माँ की पहचान है, माँ की ममता की शान है ।
बेटी से घर-आँगन करता अठखेलिया, जैसे हो गुड्डे गुड़ियों का मेला,
बेटी का हर्षित योवन , जैसे माता का हो बीता सावन ,
लक्ष्मी मैया जैसी उसकी छवि, सरस्वती माँ जैसी मीठी उसकी वाणी,
छोटी सी इन आखो में संसार समाया, हर एक रिश्ते को उसने अपनाया ,
बेटी खुशियो का द्वार है, सब रिश्तो से भी महान है,
बेटी तो माँ की पहचान है, माँ की ममता की शान है ।
माँ की आखो मे काजल सी है, पापा के दिल में धड़कन सी है,
हँसी से उसकी बहार है जीवन मैं, आंसू उसके जैसे दर्द का अम्बार है सीने में,
बेटी का वो मासूम चेहरा, माँ के आँचल की पहचान है,
बेटी बाबुल की गुड़िया है, माँ के संस्कारो का प्रमाण है,
छोटी से लो हो गयी बड़ी,जैसे उनके जीवन का संपूर्ण सार है,
बेटी तो माँ की पहचान है, माँ की ममता की शान है |
माँ के घर को कर सूना, बेटी को तो एक दिन जाना है,
आशा और निराशा है मन में, नए रिश्तो को जो अपनाना है,
माँ के आँचल को छोड़कर ,नयी दुनिया में नया घर बनाना है,
अपना बचपन खेलकर इस आँगन मैं, अब उस घर का वंश बढ़ाना है,
जैसे उसका ये जीवन, औरो को ही है अर्पण , ऐसा उसका प्यार है,
बेटी तो माँ की पहचान है, माँ की ममता की शान है|
– सोनम मारू चौधरी
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